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Tuesday, April 5, 2011

A-Gyaniji.Hasya Kavi

A-Gyaniji.Hasya Kavi
Sai Babaसाईं बाबा की पूजा करने के लिए वीरवार का दिन खास माना जाता है. आप भी वीरवार को साईं बाबा की पूजा कर उनकी आराधना और भक्ति का आनंद लीजिए.




ShirdiSaiBaba
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ।
चरणों के तेरे हम पुजारी साईं बाबा ॥
विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ॥





ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं  बाबा ॥



आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं  बाबा ॥



भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनों के हितकारी साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं  बाबा ॥

माता वैष्णो देवी की आरती

आज के आरती संग्रह में हम आपके लिए माता वैष्णो देवी की आरती लेकर आएं हैं. हिंदू धर्म में वैष्णो देवी, जो माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती हैं, देवी मां का अवतार हैं.

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वैष्णो माता की आरती


जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।
द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सबकुछ पा जाता॥ मैया जय वैष्णवी माता।
तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे।
राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥ मैया जय वैष्णवी माता।
मौत-जिंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली।
निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥ मैया जय वैष्णवी माता।
पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी।
मैया तू है जोता वाली, भवसागर से तारण हारी॥ मैया जय वैष्णवी माता।
तू ने नाता जोड़ा सबसे, जिस-जिस ने जब तुझे पुकारा।
शुद्ध हृदय से जिसने ध्याया, दिया तुमने सबको सहारा॥ मैया जय वैष्णवी माता।
मैं मूरख अज्ञान अनारी, तू जगदम्बे सबको प्यारी।
मन इच्छा सिद्ध करने वाली, अब है ब्रज मोहन की बारी॥ मैया जय वैष्णवी माता।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
सुआ चोली तेरे अंग विराजे, केसर तिलक लगाया।
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शंकर ध्यान लगाया।
नंगे पांव पास तेरे अकबर सोने का छत्र चढ़ाया।
ऊंचे पर्वत बन्या शिवाली नीचे महल बनाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
सतयुग, द्वापर, त्रेता, मध्ये कलयुग राज बसाया।
धूप दीप नैवेद्य, आरती, मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।

मुझे घर याद करता है।

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वही आंगन, वही खिड़की, वही दर याद आता है,
मैं जब भी तन्हां होता हूं, मुझे घर याद करता है।
मेरे सीने की हिचकी भी, मुझे खुलकर बताती है,
तेरे अपनों को गांव में, तू अक्सर याद आता है।
जो अपने पास हो उसकी कोई कीमत नहीं होती,
हमारे भाई को ही लो, बिछड़कर याद आता है।
सफलता के सफर में तो कहां फुर्सत के, कुछ सोचें,
मगर जब चोट लगती है, मुकद्दर याद आता है।
मई और जून की गर्मी, बदन से जब टपकती है,
नवंबर याद आता है, दिसंबर याद आता है।
SURENDRA THAKUR (A-Gyaniji)

असर बुजुर्गों की नेमतों का, हमारे अंदर से झांकता है,

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असर बुजुर्गों की नेमतों का, हमारे अंदर से झांकता है,
पुरानी नदियों का मीठा पानी, नए समंदर से झांकता है।
न जिस्म कोई, न दिल न आंखें, मगर ये जादूगरी तो देखो,
हर एक शै में धड़क रहा है, हर एक मंजर से झांकता है।
लबों पे खामोशियों का पहरा, नजर परेशां उदास चेहरा,
तुम्हारे दिल का हर एक जज्बा, तुम्हारे तेवर से झांकता है।
चहक रहे हैं चमन में पंछी, दरख्त अंगड़ाई ले रहे हैं,
बदल रहा है दुखों का मौसम, बसंत पतझर से झांकता है।
गले में मां ने पहन रखे हैं, महीन धागे में चंद मोती,
हमारी गर्दिश का हर सितारा, उस एक जेवर से झांकता है।
थके पिता का उदास चेहरा, उभर रहा है यूं मेरे दिल में,
कि प्यासे बादल का अक्स जैसे किसी सरोवर से झांकता है।
SURENDRA THAKUR (A-Gyaniji)

सच की मशीन - हास्य कविता

सच की मशीन - हास्य कविता (Hasya kavita)


माशुका को उसकी सहेली ने समझाया
‘आजकल खुल गयी है
सच बोलने वाली मशीन की दुकानें
उसमें ले जाकर अपने आशिक को आजमाओ।
कहीं बाद में शादी पछताना न पड़े
इसलिये चुपके से उसे वहां ले जाओ
उसके दिल में क्या है पता लगाओ।’



माशुका को आ गया ताव
भूल गयी इश्क का असली भाव
उसने आशिक को लेकर
सच बोलने वाली मशीन की दुकान के
सामने खड़ा कर दिया
और बोली
‘चलो अंदर
करो सच का सामना
फिर करना मेरी कामना
मशीन के सामने तुम बैठना
मैं बाहर टीवी पर देखूंगी
तुम सच्चे आशिक हो कि झूठे
पत लग जायेगा
सच की वजह से हमारा प्यार
मजबूत हो जायेगा
अब तुम अंदर जाओ।’

आशिक पहले घबड़ाया
फिर उसे भी ताव आया
और बोला
‘तुम्हारा और मेरा प्यार सच्चा है
पर फिर भी कहीं न कहीं कच्चा है
मैं अंदर जाकर सच का
सामना नहीं करूंगा
भले ही कुंआरा मरूंगा
मुझे सच बोलकर भला क्यों फंसना है
तुम मुझे छोड़ भी जाओ तो क्या फर्क पड़ेगा
मुझे दूसरी माशुकाओं से भी बचना है
कोई परवाह नहीं
तुम यहां सच सुनकर छोड़ जाओ
मुश्किल तब होगी जब
यह सब बातें दूसरों को जाकर तुम बताओ
बाकी माशुकाओं को पता चला तो
मुसीबत आ जायेगी
अभी तो एक ही जायेगी
बाद में कोई साथ नहीं आयेगी
मैं जा रहा हूं तुम्हें छोड़कर
इसलिये अब तुम माफ करो मुझे

अब तुम भी घर जाओ।’