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Saturday, March 19, 2011

चेहरे पर नक़ाब तुम रखो।

आसमाँ को छूने का,भले ख़्वाब तुम रखो
मगर ज़मीं से भी नाता,लाजवाब तुम रखो,
तुम्हारी कोशिशें भी,एक दिन रंग लायेंगी
बस अपने दिल में हौसले,बेहिसाब तुम रखो।
बुज़ुर्गों की भी हालत पे, ज़रा ग़ौर फ़रमाना
ख़यालों में अपना जब भी,शबाब तुम रखो।
कुछ सवालों को तुम,अनसुना भी कर देना
ज़रूरी नहीं कि सबका, जवाब तुम रखो।
उजाले के लिए तो एक दीपक,बहुत होता है
क्या फ़ायदा ग्रहण लगा, आफ़ताब तुम रखो।
हर इंसान में गौतम औ'ग़ाज़ी, नज़र आयेंगे
नज़रिया अपना बस,ना ख़राब तुम रखो।
आज के दौर में ये भी ज़रूरी,हो गया'A-Gyani ji'
कि कभी-कभी चेहरे पर नक़ाब तुम रखो।

***** A-Gyani ji ke Dohe .....

1:- A-GYANI JI KE GYAN KO, SAMAJH SAKE NA KOY  !!!
       JO SAMJHE INKE GYAN KO, VO A-GYANI NA HOY !!!!


2:- GYANI, GYANI SAB KAHE, A-GYANI KAHE NA KOY !!
    JO APNE KO A-GYANI KAHE,  VO SABSE GYANI HOY !!!!


3:- AISI BANI BOLIYE, JISSE JHAGDA HOY !!
     AUR UNSE MAT BOLIYE, JO HAMSE TAGDA HOY !!!!
4:- A-Gyani kahe ve nar mare, jo na pathan jahi !!
     unse pahle ve mare, jo na pathavat nahi  !!!!

Thursday, March 17, 2011

***** काश मै उस दिन मर गया होता । *****


काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
हां वो होटल 'ताज' था
मुंबई शहर का 'साज' था॥
 
शुरू किया खेल शैतानों ने।
निर्दोषों को मारा हैवानों ने॥
इंसान थे कि शैतान थे वे।
या नर्क से आए हैवान थे वे॥
 
बंदूकें गोली उगल रही थी।
जनता गोली निगल रही थी॥
मेरे सामने मारा मेरी दो बहनों को,
रहा मैं लायक और दुख सहने को।
काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
 
मार दिया मेरे तात को।
और छोड़ा मेरी 'मातको
हथगोलों से मारा मेरे 'भातृको।
सो सका मै महीनों रात को
 
हे भगवान मुझे माफ मत करना
दुबारा ऐसी रात मत करना
अब सोता जागता हूं
आदमी से भागता हूँ
काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
 
बच्चे भूख से तड़प रहे थे।
हैवान पिस्ता काजू गटक रहे थे॥
जब दी मैंने अपने भाई केा आग
लगा मेरे सीने में दाग
 
गुड़ियों से खेलने वाली बहनें।
पड़ी थी सफेद चादर पहने॥
चारों तरफ करुणा रुदन था।
ताज बना श्मशान था॥
 
हे ईश्वर मुझे माफ मत करना
दुबारा ऐसी रात मत करना
काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
 

A-Gyani ji
09727740048
09893253972(Home)

डकैत है दिल्ली


खिलन्दड़ी टिकैतों का खेत है दिल्ली !!!
प्यासे मृग भटक रहे, रेत है दिल्ली !!!
 
आग, धुँआ, गोले, कट्टे छुरी और बम
हाथो में थामे हुए डकैत है दिल्ली !!!
 
राजनय, राजधानी, संसद की बोली में
हर दम सिपहसालार-सी मुस्तैद है दिल्ली !!!
 
आयकर, बिक्री कर, और भी अनेक कर
करों की कारा में हुई कैद है दिल्ली !!!
 
जाति, धर्म, क्षेत्रवाद कोई भी असाध्य रोग



A-Gyani ji
09727740048
09893253972(Home)
सिम-किसिम रोगों की बैद है दिल्ली !!!!

आपकी यह हौसला अफजाई बहुत काम आएगी


@@@ **  सच कहता हूं,यदि आपने यूं ही दिया साथ तो,
         वर्षों से रुकी कलम में फिर से जान आएगी !
        मैं यह तो नहीं कहता कि मैं कोई फोडूंगा भाड,,
         पर मेरी चटक नाइंसाफी की आंख फोड जाएगी !!
दर्द जो द्स्तूर सा बनता रहा तो एक दिन,
बदलाव की आंधी भी पूरे वेग से ही आएगी !!
आज आंसू बह रहे है देख जिनकी आंख में,
वक्त की तहजीब है उनको हंसी भी आएगी  !!
वार समझौतों पे गर होते रहे यूंही तो सुन,
प्यार की फसलें बली के खून से लहलाएंगी   !!!
A-Gyani ji
09727740048
09893253972(Home)