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Sunday, August 7, 2011

आज कल दिन में क्या नहीं होता ???????

कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता 
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता
जी बहुत चाहता सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
रात का इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता   ????????????//


surendra thakur
A-gyaniji

9727740048

Monday, August 1, 2011

A-gyaniji ke DoHE

A-gyaniji ke DoHE




1)-    CHALTI CHAKIYAN DEKHKAR, PATI-PATNI SIKHO SAB KOY,
         SANGI EK CHALAT, EK THADHO RAHE,SANGI ALAG NA HOY ////


2)-    NADI KINARE DEKHKAR, A-GYANI JI BHAR ROY,
         SANGE CHALAT DIN RAAT, KABHI EK NA HOY //////


3)-    SHIKSHA PADDTI DEKHKAR, A-GYANI JI BHAR ROY,
         TUTION PADAWAT RAATME,SCHOOL ME JI BHAR SOY ////



THANKS ALL  DEAR

SURENDRA THAKUR
A-gyaniji
eViev training mumbai-18\07\2011

Saturday, April 9, 2011

        YAH DEKH MUJHE DARD HOTA HAI  !!!!
1-     Doulat mando ke shonk nirale hote hai,
 Kutto ko roti khilate aur dhood pilate hai,
Jabki aaj bhi inshan bhookha sota hai !!!
                YAH DEKH MUJHE DARD HOTA HAI  !!!!
2-     Vakilo ke bhi kya khoob dastoor hote hai,
Gunahgar bhi unki najro me bekasoor hote hai,
Adalat me ek andha bhi chashmdeet gavah hota hai !!!
    YAH DEKH MUJHE DARD HOTA HAI  !!!!   
       
3-     Netao ke chehre me nakab hote hai,
Jeetne ke baad nek irade kharab hote hai,
Paanch varsho me pure daman me daag hota hai !!!
 YAH DEKH MUJHE DARD HOTA HAI  !!!!                      4-     Film Abhinetriyo ki shaan nirali hoti hai,
Filmo me khula aur nanga naach dikhati hai,
Yah sabhi kaam paiso ke liye hota hai !!!
   YAH DEKH MUJHE DARD HOTA HAI  !!!!    
       
5-     Aam Admi bhi ajeeb hota hai,
Kitna kharab uska naseeb hota hai,
Apne gam se kam dusro ki khushi se jyada rota hai !!!
    YAH DEKH MUJHE DARD HOTA HAI  !!!!   
   YAH DEKH MUJHE DARD HOTA HAI  !!!! 
9727740048

Wednesday, April 6, 2011

||अमंगलम् गुटखा खाद्यम धूम्रपानं, अमंगलं सर्वव्यसनम्||

सभी ब्लॉगरों से एक विवाह में शामिल होने का अनुरोध किया जाता है…

||अमंगलम् गुटखा खाद्यम धूम्रपानं, अमंगलं सर्वव्यसनम्||
||कराग्रे वसते बीड़ी, करमध्ये चुरुटम्, करमूले स्थितो गुटखायाः प्रभाते कर दर्शनम्||

दुर्भाग्यवती – बीड़ी कुमारी उर्फ़ सिगरेट देवी
कुपुत्री श्री तम्बाकूलाल एवं श्रीमती तेंदूपत्ता बाई
निवासी – 420, यमलोक हाऊस, दुःखनगर…
के संग
मृतात्मा – कैंसर कुमार उर्फ़ लाईलाज बाबू
कुपुत्र – श्री गुटखालाल जी एवं श्रीमती भांगदेवी
निवासी – गलत रास्ता, व्यसनपुर (नशाप्रदेश)
का अशुभ विवाह बड़े ही अमंगल समय पर तय हुआ है। अतः इस भयानक प्रसंग पर चाचा गांजासिंह, चाची अफ़ीम देवी, दादा हुक्काराम, दादी सुल्फ़ीदेवी, मामा चरसराम, मामी शराब देवी, देवर ड्रग कुमार, नाना चाय सिंह, नानी कॉफ़ीदेवी, ताऊ चूनाराम, फ़ूफ़ा जर्दाराम, जैसे खतरनाक बुजुर्गों की उपस्थिति में नवदम्पति को अभिशाप प्रदान करने हेतु सादर आमंत्रित हैं…
विवाह समय – अनिश्चित काल
विवाह स्थल – श्मशान घाट मैरिज गार्डन, चिन्ता भवन, कष्ट मोहल्ला, दुर्गति गली, दुःखनगर (जिला परलोकपुर)
दर्शनाभिलाषी
सेठ दमादास, श्रीमती टीबी बाई,
श्रीमती खांसीबाई एवं समस्त नशे की गोलियाँ
हेरोईन के सभी इंजेक्शन तथा कुख्यात पिच्च-थू परिवार
बाल मनुहार : “हमाली बदबूदाल बुआजी की छादी में जलूल-जलूल आना” - कटी-छिली सुपारी
बारातियों के लिये नोट –
1) बारात एम्बूलेंस से कैंसर अस्पताल होते हुए काल घड़ी में श्मशान घाट मैरिज गार्डन पहुँचेगी।
2) बारातियों का स्वागत चिलम के एक-एक सुट्टे से किया जायेगा व यमराज महाशय का आशीर्वाद मुफ़्त में मिलेगा।
आगंतुकों से अनुरोध है कि वे चाहें तो अपने ईष्ट मित्रों को भी साथ ला सकते हैं…

Tuesday, April 5, 2011

A-Gyaniji.Hasya Kavi

A-Gyaniji.Hasya Kavi
Sai Babaसाईं बाबा की पूजा करने के लिए वीरवार का दिन खास माना जाता है. आप भी वीरवार को साईं बाबा की पूजा कर उनकी आराधना और भक्ति का आनंद लीजिए.




ShirdiSaiBaba
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ।
चरणों के तेरे हम पुजारी साईं बाबा ॥
विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ॥





ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं  बाबा ॥



आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं  बाबा ॥



भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनों के हितकारी साईं  बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं  बाबा ॥

माता वैष्णो देवी की आरती

आज के आरती संग्रह में हम आपके लिए माता वैष्णो देवी की आरती लेकर आएं हैं. हिंदू धर्म में वैष्णो देवी, जो माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती हैं, देवी मां का अवतार हैं.

vaishno-devi
वैष्णो माता की आरती


जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।
द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सबकुछ पा जाता॥ मैया जय वैष्णवी माता।
तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे।
राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥ मैया जय वैष्णवी माता।
मौत-जिंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली।
निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥ मैया जय वैष्णवी माता।
पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी।
मैया तू है जोता वाली, भवसागर से तारण हारी॥ मैया जय वैष्णवी माता।
तू ने नाता जोड़ा सबसे, जिस-जिस ने जब तुझे पुकारा।
शुद्ध हृदय से जिसने ध्याया, दिया तुमने सबको सहारा॥ मैया जय वैष्णवी माता।
मैं मूरख अज्ञान अनारी, तू जगदम्बे सबको प्यारी।
मन इच्छा सिद्ध करने वाली, अब है ब्रज मोहन की बारी॥ मैया जय वैष्णवी माता।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
सुआ चोली तेरे अंग विराजे, केसर तिलक लगाया।
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शंकर ध्यान लगाया।
नंगे पांव पास तेरे अकबर सोने का छत्र चढ़ाया।
ऊंचे पर्वत बन्या शिवाली नीचे महल बनाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।
सतयुग, द्वापर, त्रेता, मध्ये कलयुग राज बसाया।
धूप दीप नैवेद्य, आरती, मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया।

मुझे घर याद करता है।

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वही आंगन, वही खिड़की, वही दर याद आता है,
मैं जब भी तन्हां होता हूं, मुझे घर याद करता है।
मेरे सीने की हिचकी भी, मुझे खुलकर बताती है,
तेरे अपनों को गांव में, तू अक्सर याद आता है।
जो अपने पास हो उसकी कोई कीमत नहीं होती,
हमारे भाई को ही लो, बिछड़कर याद आता है।
सफलता के सफर में तो कहां फुर्सत के, कुछ सोचें,
मगर जब चोट लगती है, मुकद्दर याद आता है।
मई और जून की गर्मी, बदन से जब टपकती है,
नवंबर याद आता है, दिसंबर याद आता है।
SURENDRA THAKUR (A-Gyaniji)

असर बुजुर्गों की नेमतों का, हमारे अंदर से झांकता है,

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असर बुजुर्गों की नेमतों का, हमारे अंदर से झांकता है,
पुरानी नदियों का मीठा पानी, नए समंदर से झांकता है।
न जिस्म कोई, न दिल न आंखें, मगर ये जादूगरी तो देखो,
हर एक शै में धड़क रहा है, हर एक मंजर से झांकता है।
लबों पे खामोशियों का पहरा, नजर परेशां उदास चेहरा,
तुम्हारे दिल का हर एक जज्बा, तुम्हारे तेवर से झांकता है।
चहक रहे हैं चमन में पंछी, दरख्त अंगड़ाई ले रहे हैं,
बदल रहा है दुखों का मौसम, बसंत पतझर से झांकता है।
गले में मां ने पहन रखे हैं, महीन धागे में चंद मोती,
हमारी गर्दिश का हर सितारा, उस एक जेवर से झांकता है।
थके पिता का उदास चेहरा, उभर रहा है यूं मेरे दिल में,
कि प्यासे बादल का अक्स जैसे किसी सरोवर से झांकता है।
SURENDRA THAKUR (A-Gyaniji)

सच की मशीन - हास्य कविता

सच की मशीन - हास्य कविता (Hasya kavita)


माशुका को उसकी सहेली ने समझाया
‘आजकल खुल गयी है
सच बोलने वाली मशीन की दुकानें
उसमें ले जाकर अपने आशिक को आजमाओ।
कहीं बाद में शादी पछताना न पड़े
इसलिये चुपके से उसे वहां ले जाओ
उसके दिल में क्या है पता लगाओ।’



माशुका को आ गया ताव
भूल गयी इश्क का असली भाव
उसने आशिक को लेकर
सच बोलने वाली मशीन की दुकान के
सामने खड़ा कर दिया
और बोली
‘चलो अंदर
करो सच का सामना
फिर करना मेरी कामना
मशीन के सामने तुम बैठना
मैं बाहर टीवी पर देखूंगी
तुम सच्चे आशिक हो कि झूठे
पत लग जायेगा
सच की वजह से हमारा प्यार
मजबूत हो जायेगा
अब तुम अंदर जाओ।’

आशिक पहले घबड़ाया
फिर उसे भी ताव आया
और बोला
‘तुम्हारा और मेरा प्यार सच्चा है
पर फिर भी कहीं न कहीं कच्चा है
मैं अंदर जाकर सच का
सामना नहीं करूंगा
भले ही कुंआरा मरूंगा
मुझे सच बोलकर भला क्यों फंसना है
तुम मुझे छोड़ भी जाओ तो क्या फर्क पड़ेगा
मुझे दूसरी माशुकाओं से भी बचना है
कोई परवाह नहीं
तुम यहां सच सुनकर छोड़ जाओ
मुश्किल तब होगी जब
यह सब बातें दूसरों को जाकर तुम बताओ
बाकी माशुकाओं को पता चला तो
मुसीबत आ जायेगी
अभी तो एक ही जायेगी
बाद में कोई साथ नहीं आयेगी
मैं जा रहा हूं तुम्हें छोड़कर
इसलिये अब तुम माफ करो मुझे

अब तुम भी घर जाओ।’

Saturday, March 19, 2011

चेहरे पर नक़ाब तुम रखो।

आसमाँ को छूने का,भले ख़्वाब तुम रखो
मगर ज़मीं से भी नाता,लाजवाब तुम रखो,
तुम्हारी कोशिशें भी,एक दिन रंग लायेंगी
बस अपने दिल में हौसले,बेहिसाब तुम रखो।
बुज़ुर्गों की भी हालत पे, ज़रा ग़ौर फ़रमाना
ख़यालों में अपना जब भी,शबाब तुम रखो।
कुछ सवालों को तुम,अनसुना भी कर देना
ज़रूरी नहीं कि सबका, जवाब तुम रखो।
उजाले के लिए तो एक दीपक,बहुत होता है
क्या फ़ायदा ग्रहण लगा, आफ़ताब तुम रखो।
हर इंसान में गौतम औ'ग़ाज़ी, नज़र आयेंगे
नज़रिया अपना बस,ना ख़राब तुम रखो।
आज के दौर में ये भी ज़रूरी,हो गया'A-Gyani ji'
कि कभी-कभी चेहरे पर नक़ाब तुम रखो।

***** A-Gyani ji ke Dohe .....

1:- A-GYANI JI KE GYAN KO, SAMAJH SAKE NA KOY  !!!
       JO SAMJHE INKE GYAN KO, VO A-GYANI NA HOY !!!!


2:- GYANI, GYANI SAB KAHE, A-GYANI KAHE NA KOY !!
    JO APNE KO A-GYANI KAHE,  VO SABSE GYANI HOY !!!!


3:- AISI BANI BOLIYE, JISSE JHAGDA HOY !!
     AUR UNSE MAT BOLIYE, JO HAMSE TAGDA HOY !!!!
4:- A-Gyani kahe ve nar mare, jo na pathan jahi !!
     unse pahle ve mare, jo na pathavat nahi  !!!!

Thursday, March 17, 2011

***** काश मै उस दिन मर गया होता । *****


काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
हां वो होटल 'ताज' था
मुंबई शहर का 'साज' था॥
 
शुरू किया खेल शैतानों ने।
निर्दोषों को मारा हैवानों ने॥
इंसान थे कि शैतान थे वे।
या नर्क से आए हैवान थे वे॥
 
बंदूकें गोली उगल रही थी।
जनता गोली निगल रही थी॥
मेरे सामने मारा मेरी दो बहनों को,
रहा मैं लायक और दुख सहने को।
काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
 
मार दिया मेरे तात को।
और छोड़ा मेरी 'मातको
हथगोलों से मारा मेरे 'भातृको।
सो सका मै महीनों रात को
 
हे भगवान मुझे माफ मत करना
दुबारा ऐसी रात मत करना
अब सोता जागता हूं
आदमी से भागता हूँ
काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
 
बच्चे भूख से तड़प रहे थे।
हैवान पिस्ता काजू गटक रहे थे॥
जब दी मैंने अपने भाई केा आग
लगा मेरे सीने में दाग
 
गुड़ियों से खेलने वाली बहनें।
पड़ी थी सफेद चादर पहने॥
चारों तरफ करुणा रुदन था।
ताज बना श्मशान था॥
 
हे ईश्वर मुझे माफ मत करना
दुबारा ऐसी रात मत करना
काश मै उस दिन मर गया होता
तो आज मुझे इतना दुख होता॥
 

A-Gyani ji
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